एक सफल उद्योगपति की कहानी – Successful Story In Hindi
रतन सिंह का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था, लेकिन रतन सिंह ने कभी भी अपनी आर्थिक परिस्थितियों को अपनी सफलता के बीच में नही आने दिया। और सिर्फ 17 वर्ष की आयु में ही वे एक सफल उद्योगपति बन गए।
अपने व्यवसाय की शुरुवात उन्होंने अपने बड़े भाई शंभू नाथ के साथ मिलकर साइकिल पर पेपर बेचते हुए की थी और बाद में उन्होंने एक सफल केबल टीवी कम्युनिकेशन व्यवसाय की स्थापना कोलकाता में की थी।
एक खोजकर्ता के रूप में उन्होंने जल्द ही भारत के power back up battery के विकास और उनकी जरूरतों को भाँप लिया था और 1999 में ही उन्होंने सु-काम पॉवर सिस्टम की स्थापना करने के लिए केबल TV के व्यवसाय को बंद करने की ठान ली।
कुछ ही सालो में hard work और महेनत करते हुए उन्होंने आज सु-काम को india की मुख्य company में से एक बनाया। आज सु-काम Indian. Multilable corporations है और इसे भारत की सबसे विकसित और तेज़ी से बढ़ने वाली industry में से एक माना जाता है।
यह company तेज़ी से विकसित होने वाली टॉप 400 कंपनियों की सूचि में भी शामिल है। रतन सिंह ने भी तक़रीबन 110 देशो तक अपनी कंपनी को पहुचाया है और इसका लक्ष्य Africa और Asia के ज्यादातर भागो को कवर करना ही है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से mathematical statics और law की डिग्री हासिल करने के साथ ही और साथ ही बिना किसी technical बैकग्राउंड के होने के बावजूद उन्होंने power electronic में महारत हासिल कर रखी थी। विविध व्यवसायों को सँभालते हुए भी वे सु-काम (Su-Kam) के आर & डी डिवीज़न के हेड बने।
इंडियन पॉवर बैकअप इंडस्ट्री में technology और design के लिए पेटेंट फाइल करने वाले रतन सिंह पहले भारतीय उद्योगपति थे। विश्व के पहले प्लास्टिक बॉडी inverter के अविष्कार का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है और उनके इस अविष्कार को इंडिया टुडे ने “Innovation Of The Dicad” का भी नाम दिया।
रतन सिंह ने वर्ल्ड क्लास techno जैसे मोस्फेट (MOSFET), माइक्रो कंट्रोलर बेस्ड (micro controlar based) और DSP sign web का अविष्कार कर पॉवर बैकअप इंडस्ट्री में क्रांति ला दी थी। उन्होंने भारत को “Home Ups” भी दिया जिसमे यूपीएस और इन्वर्टर दोनों के गुण थे।
सु-काम के आने से पहले इन्वर्टर उद्योग पर 200 से भी ज्यादा लोगो का शासन था जो घटिया माल बेच रहे थे – लेकिन रतन सिंह ने पुरे इन्वर्टर उद्योग को अपने अविष्कार से चुनौती दी रखी थी।
रतन सिंह अपनी उपलब्धियों से कभी संतुष्ट नही थे और उनमे हमेशा कुछ नयी टेक्नोलॉजी का अविष्कार करने की भूक लगी रहती।
रतन सिंह को कई बार लगता था की,
“यदि वर्तमान में सभी इलेक्ट्रॉनिक टच स्क्रीन और WI-FI से जुड़े है तो home यूपीएस क्यु नही?”
इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यूपीएस की technology में बदलाव किये। और आज रतन सिंह अपना पहला टच स्क्रीन यूपीएस लांच करने के लिए तैयार है जिसमे WI-FI की सुविधा भी दी गयी है। एक दिन ऐसा भी होगा शायद ही किसी ने सोचा होगा।
पॉवर बैकअप इंडस्ट्री के विकास में उनके बहुत से महत्वपूर्ण योगदानो को देखते हुए उन्हें “ INVERTER MAN OF INDIA” के नाम से भी जाना जाता है।
टेक्नोवेशन के प्रति रतन सिंह का प्यार हमेशा बढ़ता ही गया था। ग्रीन एनर्जी का निर्माण करने में उन्हें काफी रूचि थी उनकी इच्छा थी की India में हर जगह पर ग्रीन एनर्जी का निर्माण होना चाहिए।
एक दशक पहले सौर उर्जा के उपकरण आने वाले दशको में क्रांति लायेंगे। उनके घर से सम्बंधित सौर उपकरणों में Solarcon (Existing inverter को सोलर इन्वर्टर में बदलता है) और ब्रेनी (दुनियाँ का पहला HYBRID SOLAR HOME UPS ) शामिल है।
उन्होंने बहुत से छोटे HOUSE REMOTE से लेकर बड़ी इंडस्ट्री के लिए भी SOLAR उपकरणों की खोज की है। यूनिक सोलर DC सिस्टम के निर्माण में भी उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
रतन सिंह के कठिन परिश्रम के बाद ही सु-काम (Su-kam) सर्वाधिक market share पाने में सफल रही। फ़िलहाल सु-काम का लक्ष्य INDIA के हर एक घर को सोलर एनर्जी से जोड़ना है।
उनका मंत्र यही है,
“I INNOVATE THEREFORE I AM”
बेहतरीन विक्रेता –
Su-kam की स्थापना के पहले वर्षो में ही रतन सिंह ने मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग के महत्त्व को जान लिया था और इसी वजह से SU-KAM अखबार में विज्ञापन देने वाली पहली इन्वर्टर कंपनी बनी।
रतन सिंह के पॉवर सोल्यूशन Sector आने से पहले किसी भी कंपनी का विशिष्ट प्रोडक्ट मैन्युअल या कैटेलॉग नही था लेकिन रतन सिंह ने इसे बदलकर सु-काम के सभी प्रोडक्ट का एक बेहतरीन और आकर्षित मैन्युअल प्रोडक्ट बनाया था।
रतन सिंह ने अपनी कंपनी सु-काम के लिए बेहतरीन मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बना रखी थी और इससे पहले किसी company ने मार्केटिंग स्ट्रेटेजी नही बनायी थी लेकिन इसके बाद 90 के दशक में सभी ने उनके रास्तो पर चलते हुए मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाना शुरू किया।
इसके बाद SU-KAM प्रसिद्ध ढाबो के बोर्ड स्वयं बनाकर उन्हें GIFT करती थी और उनपर अपने उपकरणों का विज्ञापन भी देती थी।
इसके पीछे एक कहानी भी है जिसके अनुसार एक बार रतन सिंह कश्मीर में दाल सरोवर देखने गए थे और वहा उन्होंने बहुत सी खुबसूरत “सीकर नाव” भी देखि और अगले ही दिन वे सभी नाव SU-KAM में परिवर्तित हो गयी।
रतन सिंह उन महान उद्योजको में से एक है जिन्होंने इंटरनल ब्रांडिंग के महत्त्व को समझा। रतन सिंह ने सु-काम कल्चर को इस तरह से सजाया था की उनका पूरा STAFF त्यौहार (इसमें सु-काम का खेल सप्ताह भी शामिल है) ख़ुशी से मनाते थे, उनका STAFF किसी बड़े परिवार से कम नही था।
एतव और अभिनेता रवि किशन के साथ मिलकर रतन सिंह ने अपना पहला रियलिटी टीवी शो इंडिया ग्रेटेस्ट सेल्समेन – सेल का बाज़ीगर भी लांच किया। इससे पहले विक्रेता लोगो को प्रेरित करने के लिए किसी ने भी इस तरह के शो को नही देखा था। इस शो को बहुत लोगो ने पसंद किया और हजारो और लाखो लोगो ने इसमें भाग लिया। और इसके विजेता आज SU-KAM में काम करते है।
भारतीय ब्रांड को वैश्विक बनाना
रतन सिंह का हमेशा से ही यह मानना था की यदि आप सपने देख सकते हो तो तो आप उन्हें पूरा भी कर सकते हो। और उनकी इसी सोच नेSU-KAM को भारत की सबसे बड़ी पॉवर बैकअप सोल्यूशन कंपनी बनाया। वे अपने इस INDIAN BRAND को वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध करने चाहते थे और ऐसा करने में वे सफल भी हुए।
अपने BRAND को वैश्विक स्तर पर फ़ैलाने के लिए उन्होंने कई विदेश यात्राये भी की थी।
रतन सिंह के मार्गदर्शन में ही SU-KAM तक़रीबन 110 देशो में स्थापित हो सकी। सु-काम अब INTERNATIONAL BRAND चूका था और इसके साथ ही AFRICA और नेपाल जैसे देशो में सु-काम को कई अवार्ड भी मिले।
AFRICA में लोग चीनी और अमेरिकन कंपनियों की तुलना में इस “मेड इन इंडिया” ब्रांड पर ज्यादा भरोसा करते है।
अवार्ड और नामनिर्देशन
उद्योगपति, TECHNOLOGY और INNOVATION के चलते उन्हें बहुत से अवार्ड मिले है। जिसमे मुख्य रूप से भारत सरकार द्वारा दिया गया “भारत शिरोमणि” और एर्न्स्ट एंड यंग का “साल के सर्वश्रेष्ट उद्योगपति” अवार्ड शामिल है।
आज रतन सिंह की जीवनी को देखते हुए हम निश्चित तौर पे यह कह सकते है की किसी भी व्यक्ति को successful होने के लिए डिग्री की जरुरत नही होती, बस आपका talent ही आपको सफल आदमी बनाता है। क्या आप जानते है कि बिल गेट्स् और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकेरबेर्ग कॉलेज से निकाले गए (Dropout) हैं, फिर भी वे सफल हैं।
“रात नही ख्वाब बदलता है,
मंजिल नही कारवां बदलता है,
जज्बा रखे हरदम जीतने का क्योंकि
किस्मत चाहे बदले या न बदले
लेकिन वक्त जरुर बदलता है।”
यदि आपको यह post successful story पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट नीचे कमेंट कर मुझे जरूर बताएं और यदि अच्छी लगी तो Social Networks जैसे कि facebook , Twitter और दुसरे Social media sites share कीजिये
रतन सिंह का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था, लेकिन रतन सिंह ने कभी भी अपनी आर्थिक परिस्थितियों को अपनी सफलता के बीच में नही आने दिया। और सिर्फ 17 वर्ष की आयु में ही वे एक सफल उद्योगपति बन गए।
अपने व्यवसाय की शुरुवात उन्होंने अपने बड़े भाई शंभू नाथ के साथ मिलकर साइकिल पर पेपर बेचते हुए की थी और बाद में उन्होंने एक सफल केबल टीवी कम्युनिकेशन व्यवसाय की स्थापना कोलकाता में की थी।
एक खोजकर्ता के रूप में उन्होंने जल्द ही भारत के power back up battery के विकास और उनकी जरूरतों को भाँप लिया था और 1999 में ही उन्होंने सु-काम पॉवर सिस्टम की स्थापना करने के लिए केबल TV के व्यवसाय को बंद करने की ठान ली।
कुछ ही सालो में hard work और महेनत करते हुए उन्होंने आज सु-काम को india की मुख्य company में से एक बनाया। आज सु-काम Indian. Multilable corporations है और इसे भारत की सबसे विकसित और तेज़ी से बढ़ने वाली industry में से एक माना जाता है।
यह company तेज़ी से विकसित होने वाली टॉप 400 कंपनियों की सूचि में भी शामिल है। रतन सिंह ने भी तक़रीबन 110 देशो तक अपनी कंपनी को पहुचाया है और इसका लक्ष्य Africa और Asia के ज्यादातर भागो को कवर करना ही है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से mathematical statics और law की डिग्री हासिल करने के साथ ही और साथ ही बिना किसी technical बैकग्राउंड के होने के बावजूद उन्होंने power electronic में महारत हासिल कर रखी थी। विविध व्यवसायों को सँभालते हुए भी वे सु-काम (Su-Kam) के आर & डी डिवीज़न के हेड बने।
इंडियन पॉवर बैकअप इंडस्ट्री में technology और design के लिए पेटेंट फाइल करने वाले रतन सिंह पहले भारतीय उद्योगपति थे। विश्व के पहले प्लास्टिक बॉडी inverter के अविष्कार का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है और उनके इस अविष्कार को इंडिया टुडे ने “Innovation Of The Dicad” का भी नाम दिया।
रतन सिंह ने वर्ल्ड क्लास techno जैसे मोस्फेट (MOSFET), माइक्रो कंट्रोलर बेस्ड (micro controlar based) और DSP sign web का अविष्कार कर पॉवर बैकअप इंडस्ट्री में क्रांति ला दी थी। उन्होंने भारत को “Home Ups” भी दिया जिसमे यूपीएस और इन्वर्टर दोनों के गुण थे।
सु-काम के आने से पहले इन्वर्टर उद्योग पर 200 से भी ज्यादा लोगो का शासन था जो घटिया माल बेच रहे थे – लेकिन रतन सिंह ने पुरे इन्वर्टर उद्योग को अपने अविष्कार से चुनौती दी रखी थी।
रतन सिंह अपनी उपलब्धियों से कभी संतुष्ट नही थे और उनमे हमेशा कुछ नयी टेक्नोलॉजी का अविष्कार करने की भूक लगी रहती।
रतन सिंह को कई बार लगता था की,
“यदि वर्तमान में सभी इलेक्ट्रॉनिक टच स्क्रीन और WI-FI से जुड़े है तो home यूपीएस क्यु नही?”
इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यूपीएस की technology में बदलाव किये। और आज रतन सिंह अपना पहला टच स्क्रीन यूपीएस लांच करने के लिए तैयार है जिसमे WI-FI की सुविधा भी दी गयी है। एक दिन ऐसा भी होगा शायद ही किसी ने सोचा होगा।
पॉवर बैकअप इंडस्ट्री के विकास में उनके बहुत से महत्वपूर्ण योगदानो को देखते हुए उन्हें “ INVERTER MAN OF INDIA” के नाम से भी जाना जाता है।
टेक्नोवेशन के प्रति रतन सिंह का प्यार हमेशा बढ़ता ही गया था। ग्रीन एनर्जी का निर्माण करने में उन्हें काफी रूचि थी उनकी इच्छा थी की India में हर जगह पर ग्रीन एनर्जी का निर्माण होना चाहिए।
एक दशक पहले सौर उर्जा के उपकरण आने वाले दशको में क्रांति लायेंगे। उनके घर से सम्बंधित सौर उपकरणों में Solarcon (Existing inverter को सोलर इन्वर्टर में बदलता है) और ब्रेनी (दुनियाँ का पहला HYBRID SOLAR HOME UPS ) शामिल है।
उन्होंने बहुत से छोटे HOUSE REMOTE से लेकर बड़ी इंडस्ट्री के लिए भी SOLAR उपकरणों की खोज की है। यूनिक सोलर DC सिस्टम के निर्माण में भी उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
रतन सिंह के कठिन परिश्रम के बाद ही सु-काम (Su-kam) सर्वाधिक market share पाने में सफल रही। फ़िलहाल सु-काम का लक्ष्य INDIA के हर एक घर को सोलर एनर्जी से जोड़ना है।
उनका मंत्र यही है,
“I INNOVATE THEREFORE I AM”
बेहतरीन विक्रेता –
Su-kam की स्थापना के पहले वर्षो में ही रतन सिंह ने मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग के महत्त्व को जान लिया था और इसी वजह से SU-KAM अखबार में विज्ञापन देने वाली पहली इन्वर्टर कंपनी बनी।
रतन सिंह के पॉवर सोल्यूशन Sector आने से पहले किसी भी कंपनी का विशिष्ट प्रोडक्ट मैन्युअल या कैटेलॉग नही था लेकिन रतन सिंह ने इसे बदलकर सु-काम के सभी प्रोडक्ट का एक बेहतरीन और आकर्षित मैन्युअल प्रोडक्ट बनाया था।
रतन सिंह ने अपनी कंपनी सु-काम के लिए बेहतरीन मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बना रखी थी और इससे पहले किसी company ने मार्केटिंग स्ट्रेटेजी नही बनायी थी लेकिन इसके बाद 90 के दशक में सभी ने उनके रास्तो पर चलते हुए मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाना शुरू किया।
इसके बाद SU-KAM प्रसिद्ध ढाबो के बोर्ड स्वयं बनाकर उन्हें GIFT करती थी और उनपर अपने उपकरणों का विज्ञापन भी देती थी।
इसके पीछे एक कहानी भी है जिसके अनुसार एक बार रतन सिंह कश्मीर में दाल सरोवर देखने गए थे और वहा उन्होंने बहुत सी खुबसूरत “सीकर नाव” भी देखि और अगले ही दिन वे सभी नाव SU-KAM में परिवर्तित हो गयी।
रतन सिंह उन महान उद्योजको में से एक है जिन्होंने इंटरनल ब्रांडिंग के महत्त्व को समझा। रतन सिंह ने सु-काम कल्चर को इस तरह से सजाया था की उनका पूरा STAFF त्यौहार (इसमें सु-काम का खेल सप्ताह भी शामिल है) ख़ुशी से मनाते थे, उनका STAFF किसी बड़े परिवार से कम नही था।
एतव और अभिनेता रवि किशन के साथ मिलकर रतन सिंह ने अपना पहला रियलिटी टीवी शो इंडिया ग्रेटेस्ट सेल्समेन – सेल का बाज़ीगर भी लांच किया। इससे पहले विक्रेता लोगो को प्रेरित करने के लिए किसी ने भी इस तरह के शो को नही देखा था। इस शो को बहुत लोगो ने पसंद किया और हजारो और लाखो लोगो ने इसमें भाग लिया। और इसके विजेता आज SU-KAM में काम करते है।
भारतीय ब्रांड को वैश्विक बनाना
रतन सिंह का हमेशा से ही यह मानना था की यदि आप सपने देख सकते हो तो तो आप उन्हें पूरा भी कर सकते हो। और उनकी इसी सोच नेSU-KAM को भारत की सबसे बड़ी पॉवर बैकअप सोल्यूशन कंपनी बनाया। वे अपने इस INDIAN BRAND को वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध करने चाहते थे और ऐसा करने में वे सफल भी हुए।
अपने BRAND को वैश्विक स्तर पर फ़ैलाने के लिए उन्होंने कई विदेश यात्राये भी की थी।
रतन सिंह के मार्गदर्शन में ही SU-KAM तक़रीबन 110 देशो में स्थापित हो सकी। सु-काम अब INTERNATIONAL BRAND चूका था और इसके साथ ही AFRICA और नेपाल जैसे देशो में सु-काम को कई अवार्ड भी मिले।
AFRICA में लोग चीनी और अमेरिकन कंपनियों की तुलना में इस “मेड इन इंडिया” ब्रांड पर ज्यादा भरोसा करते है।
अवार्ड और नामनिर्देशन
उद्योगपति, TECHNOLOGY और INNOVATION के चलते उन्हें बहुत से अवार्ड मिले है। जिसमे मुख्य रूप से भारत सरकार द्वारा दिया गया “भारत शिरोमणि” और एर्न्स्ट एंड यंग का “साल के सर्वश्रेष्ट उद्योगपति” अवार्ड शामिल है।
आज रतन सिंह की जीवनी को देखते हुए हम निश्चित तौर पे यह कह सकते है की किसी भी व्यक्ति को successful होने के लिए डिग्री की जरुरत नही होती, बस आपका talent ही आपको सफल आदमी बनाता है। क्या आप जानते है कि बिल गेट्स् और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकेरबेर्ग कॉलेज से निकाले गए (Dropout) हैं, फिर भी वे सफल हैं।
“रात नही ख्वाब बदलता है,
मंजिल नही कारवां बदलता है,
जज्बा रखे हरदम जीतने का क्योंकि
किस्मत चाहे बदले या न बदले
लेकिन वक्त जरुर बदलता है।”
यदि आपको यह post successful story पसंद आया या कुछ सीखने को मिला तब कृपया इस पोस्ट नीचे कमेंट कर मुझे जरूर बताएं और यदि अच्छी लगी तो Social Networks जैसे कि facebook , Twitter और दुसरे Social media sites share कीजिये
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Successful story
Very interesting post
जवाब देंहटाएंNice blog very interesting..
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